बिहार में एक जिला है जिसका नाम वैशाली है। विश्व को सर्वप्रथम गणतंत्र का पाठ पढ़ने वाला स्थान वैशाली ही है। आज वैश्विक स्तर पर जिस लोकतंत्र को अपनाया जा रहा है वह यहां के लिच्छवी शासकों की ही देन है। लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व नेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरुआत की गयी थी। यहां का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता था।
प्राचीनकाल में वैशाली बहुत ही समृद्ध क्षेत्र हुआ करता था। कहा जाता है कि इस नगर का नामकरण राजा विशाल के नाम पर हुआ है। विष्णु पुराण के अनुसार यहां पर लगभग 34 राजाओं ने राज किया था। पहले नभग और अंतिम सुमति थे। राजा सुमति भगवान राम के पिता राजा दशरथ के समकालीन थे।
बौद्धकाल में यह नगरी जैन और बौद्ध धर्म का केंद्र थी। यह भूमि महावीर स्वामी की जन्मभूमि और भगवान बुद्ध की कर्मभूमि है। इसी नगर क्षेत्र के बसोकुंड गांव के पास कुंडलपुर में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। भगवान महावीर वैशाली राज्य में लगभग 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। यहां कई अशोक स्तंभ के अलावा कुछ बौद्ध स्तूप है और यही 4 किलोमीटर दूर कुंडलपुर में जैन मंदिर भी स्थित हैं।
ज्ञान प्राप्ति के पांच वर्ष पश्चात भगवान बुद्ध का वैशाली आगमन हुआ और उनका स्वागत वहां की प्रसिद्ध राजनर्तकी आम्रपाली ने किया था। इसी नगर में वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली सहित चौरासी हजार नागरिक बौद्ध संघ में शामिल हुए थे। बुद्ध ने तीन बार इस जगह का दौरा किया और यहां काफी समय बिताया। बुद्ध ने यहां अपने निर्वाण की घोषणा भी की थी। वैशाली के समीप कोल्हुआ में भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम संबोधन दिया था। वैशाली में सम्पन्न द्वितीय बौद्ध संगीति में ही बौद्ध धर्म में दो फाड़ हो गई थी।
मगध सम्राट बिंबसार ने आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर जब आक्रमण किया तब संयोगवश उसकी पहली मुलाकात आम्रपाली से ही हुई। आम्रपाली के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध होकर बिंबसार पहली ही नजर में अपना दिल दे बैठा। माना जाता है कि आम्रपाली से प्रेरित होकर बिंबसार ने अपने राजदरबार में राजनर्तकी के प्रथा की शुरुआत की थी। बिंबसार को आम्रपाली से एक पुत्र भी हुआ जो बाद में बौद्ध भिक्षु बना।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वैशाली में 75 एकड़ भूमि में बुद्ध स्तूप का निर्माण कराने की घोषणा की और कहा कि यह पूरी तरह पत्थर से निर्मित होगा.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को वैशाली में 75 एकड़ भूमि में बुद्ध स्तूप का निर्माण कराने की घोषणा की और कहा कि यह पूरी तरह पत्थर से निर्मित होगा.
वैशाली में ही बौद्ध दर्शन पर आधारित संग्रहालय की स्थापना भी की जाएगी. पूर्वी चंपारण जिले के
कनछेदवा में 'अशोक बुद्ध विहार' के लोकर्पण समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा
कि भगवान बुद्ध के विचार हमेशा प्रासंगिक रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधगया की पवित्र भूमि पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया और लोगों को
उपदेश दिया. दुनिया के अरबों लोग उनके विचार से प्रभावित हुए. आज भी बौद्ध धर्मावलंबी बोधगया आकर भगवान बुद्ध के विचारों से प्रेरणा लेते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि छह देशों में भगवान बुद्ध के मिले अवशेषों को पटना में स्थित करुणा स्तूप के
पास स्थापित किया गया है.
बिहार को 'विहार' बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विहार से ही बिहार का नाम पड़ा है. उन्होंने कहा कि
समय के साथ ही भाषा एवं शब्दों में परिवर्तन आता है. बिहार प्रारंभ से ही अध्ययन का केंद्र रहा है.
उन्होंने कहा कि पाटलि गांव से पाटलिपुत्र और आज फिर पटना हो गया.
नारी सशक्तीकरण की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध ने नारी सशक्तीकरण के
लिए सर्वप्रथम कदम उठाया था और नारियों को संघ में प्रवेश की अनुमति दी थी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि न्याय के साथ विकास का मतलब ही है सभी क्षेत्रों का विकास. मुख्यमंत्री ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा, 'जुमला बाबू के झांसे में आने की जरूरत नहीं है. समाज
में जो कट्टरपंथ है, धर्मांधता है, उसके खिलाफ छात्र जीवन से ही हमलोग आवाज उठाया करते थे.
आज समाज के कुछ लोग कट्टरपंथ का समर्थन भी कर रहे हैं.
HOME MENU
Comments