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बिहार के केसरिया में मौजूद है विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन बौद्ध स्तूप

भारत का पूर्वी राज्य बिहार, अपने बृहद इतिहास के लिए जाना जाता है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से यह एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां आज भी अतीत से जुड़े कई प्राचीन अवशेषों को देखा जा सकता है। बिहार नालंदा जैसे प्राचीन शिक्षण संस्थानों और विष्णुगुप्त जैसे बुद्धिजीवियों के लिए हमेशा जाना जाता रहा है। इस राज्य का प्राचीन नाम मगध था, जिसने धर्म, अध्यात्म, शिक्षा, सभ्यता-संस्कृति जैसी खासियतों की वजह से पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया।


विश्व के सबसे ऊँचे बौद्ध स्तूप आज कल बौद्ध धर्मावलम्बियों व आम लोगों के लिए पर्यटक केन्द्र के साथ-साथ आस्था का केन्द्र बना हुआ है। बिहार की राजधानी पटना से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर पूर्वी चम्पारण जिले के केसरिया वैशाली मार्ग के केसरिया में स्थित है। वर्ष 2001 में भारतीय पुरातत्व सवेक्षण पटना अंचल के पुरातात्विक मो. के के साहब ने पूर्व से प्रचलित देउरा या राजा वेन के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध टीले को विश्व का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप घोषित किया था।
विश्व प्रसिद्ध स्तूप के रूप में घोषित होते ही केसरिया विश्व मानचित्र पर एकाएक छा गया। ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं केसरिया में घटी। केसरिया (के सपूत निगम) में ही उन्होंने राजसी वस्त्र का त्याग किया। इसी धरती पर ज्ञान की खोज के क्रम में अलार-कलाम नामक सन्यासी से गौतम बुद्ध ने प्रथम शिक्षा ली थी। यहीं से वैशाली होकर वे बोधगया पहुंचे जहां उन्हें बोधिवृक्ष के नीचे मूल ज्ञान की प्राप्ति हुई।
जीवन के गौतम बुद्ध कुशीनगर के प्रस्थान कर रहे थे तो रात्रि विश्राम उन्होंने केसरिया में किया गया था। उनके साथ वैषाली से भारी संख्या में अनुयायी आये थे जिन्हे भिक्षा पात्र देकर उन्होंने केसरिया से वैशाली के लिए विदा किया था। तत्पश्चात वे कुशीनगर के लिए चले गये थे। बहुत सारी ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े होने के कारण ही इस महा स्थान केसरिया में अजादशत्रु ने विश्व का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप बनवाया।
 चीनी यात्री हवेनसाग एवं हाफियान भी केसरिया आये थे और अपने यात्रा कृतान्त में इस स्तूप की चर्चा की। जेनरल कनिधम होडसन एवं मैकेनजी ने भी स्तूप का भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट दी। वर्ष 1861-62 में कनिधम ने कहा था कि केसरिया स्तूप के निर्माण में दस से पन्द्रह करोड़ ईंट लगी थी। साथ ही इसकी उंचाई लगभग 150 फीट थी। सन 1934 के भूकम्प में इस स्तूप को काफी क्षति पहुंची थी। 3 मार्च 1998 को इस स्तूप की प्रथम खुदाई आरम्भ की गयी। वर्ष 2001 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण पटना अंचल के पुरातात्विक मो.के के साहब ने इस दुनिया का सबसे उंचा स्तूप घोषित किया था।

विश्व प्रसिद्ध केसरिया बौद्ध स्तूप की उंचाई वर्तमान 104 फीट 10 ईंच है। यह करीब 30 एकड़ भूभाग पर फैला हुआ है। वर्ष 1998 से लेकर अब तक स्तूप के करीब चालीस प्रतिशत भाग पर ही उत्खनन का कार्य हो पाया है। हालांकि उत्खनन के परिमाण में संरक्षण का कार्य नहीं हो रहा है। उत्खनन के बाद जो मूल स्वरूप बाहर आये हैं। उन्हें बारिस में भारी क्षति पहुंच रही है। इस स्तूप का आधे से अधिक हिस्से की खुदाई अभी तक बाकी है। केसरिया स्तूप विश्व प्रसिद्ध होते ही यहां देशी-विदेशी पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। नेपाल चीन, तिब्बत, जापान, कोरिया, थाईलैण्ड, भुटान, श्रीलंका समेत कई अन्य देशों से हजारों की संख्या में पर्यटक यहां प्रतिवर्ष आते रहते है। मगर सरकारी स्तर पर सुविधा भी नदारद है।
पर्यटकों के लिए रहने खाने की सुविधा की बात कौन कहे यहां एक शौचालय एवं शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार ने पर्यटक भवन 50 लाख की लागत से बनाया जरूर मगर स्तूप से काफी दूर प्रखण्ड कार्यालय परिसर में जहां पर्यटक नहीं पहुंच पाते है। विश्व प्रसिद्ध यह स्तूप आज उपेक्षा का शिकार बन कर रह गया है। इस स्तूप के विकास को लेकर केन्द्र व राज्य सरकार दोनों को इसकी चिन्ता है। अब तक विकास में चाहरदिवारी का निर्माण व पांच सोलर लाइट लगे हुए है जिसमें सब बन्द के बराबर है। केसरिया में आयोजित सरकारी महोत्सव में राज्य सरकार के मंत्री महोदय विकास के लिए बड़ी-बड़ी घोषणा जरूर करते हंै। मगर उन घोषणाओं पर अमल नहीं होता है।

प्राचीन से मध्यकाल और वर्तमान तक में लंबे सफर के बाद भी इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व कम नहीं हुआ है। हर साल यहां भारी संख्या में विश्व भर से पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आगमन होता है। पर्यटन के लिहाज से यहां घूमने-फिरने और देखने योग्य कई शानदार जगहें मौजूद हैं।

नालंदा, वैशाली, कैमूर, पटना, बोधगया, राजगीर आदि यहां के विश्व प्रसिद्ध प्रयटन स्थल है, लेकिन आज हम आपको इस स्थलों से अलग राज्य के चंपारण स्थित एक प्राचीन स्मारक के बारे में बताने जा रह हैं, जो विश्व के सबसे बड़े प्राचीन बौद्ध स्तूप के नाम से प्रसिद्ध है। जानिए हमारे साथ केसरिया स्तूप के विषय में, जानिए यह स्थल आपकी यात्रा को किस प्रकार खास बना सकता है।




Nikhil pandey Darmaha 



बिहार के पूर्व चंपारण जिले के अतर्गत केसरिया नामक स्थल में मौजूद केसरिया स्तूप एक प्राचीन धरोहर है, जो विश्व के सबसे बड़े प्राचीन बौद्ध स्तूप के नाम से प्रसिद्ध है। जानकारी के अनुसार इस स्तूप को सम्राट अशोक ने बनवाया था। इतिहास और कला में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां भारतीय इतिहास के कई अहम पहलुओं को समझा जा सकता है। रिकॉर्ड में दर्ज तारिख के अनुसार यह विशाल स्तूप तीसरी शताब्दी से संबंध रखता है। इस प्राचीन स्थल को पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1958 में खोजा गया। सर्वेक्षण का पुरा काम पुरातत्वविद् के. मुहम्मद के अतर्गत कियाा। सर्वेक्षण से पहले इस स्थल को प्राचीन शिव मंदिर माना जा रहा था। खुदाई के दौरान यहां प्राचीन काल की कई अन्य चीजों प्राप्त की गई हैं, जिनमें बद्ध की मूर्तियां, तांबे की वस्तुएं, इस्लामिक सिक्के आदि।






केसरिया की यात्रा कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की जा सकती है। अगर आप एक इतिहास प्रेमी हैं और प्राचीन स्थलों की सैर करना पसंद करते हैं, तो आपको यहां जरूर आना चाहिए। बौद्ध धर्म में रूची रखने वाले पर्यटक इस स्थल की सैर कर सकते हैं। यह आपके लिए एक खास मौका होगा जब आप विश्व के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप को करीब से देख पाएंगे। केसरिया की यात्रा उन पर्यटकों के लिए भी खास है, जो बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझना चाहते हैं। कुछ नया जानने वाले जिज्ञासुओं के लिए भी यह एक शानदार जगह है। आप अपने बच्चों को इस स्थल की सैर करा सकते हैं, ताकि उन्हें अपने पाठ्यक्रम से हटकर नया ज्ञान मिले।




आसपास के आकर्षण
 केसरिया स्तूप के अलावा आप यहां आसपास बसे पर्यटन स्थलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। आप यहां से सीतामढ़ी स्थल की सैर कर सकते हैं, यह एक पौराणिक स्थल है, और माना जाता है कि यहां सीता का जन्म हुआ था। आप पूर्वी चंपारण के मोतिहरी का भ्रमण कर सकते हैं, जो एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसकी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अहम भूमिका निभाई। आप यहां से अरेराज स्थल की और रूख कर सकते हैं। यह स्थल अपने प्राचीन शिव मंदिर के लिए जाना जाता है, जहां रोजाना श्रद्धालुओं का आगमन लगा रहता है। आप अरेराज के लौरिया गांव में स्थित 11.5 मीटर लंबे अशोक पत्थर स्तंभ को देख सकते हैं, जो 249 ईसा पूर्व में बनाया गया था। इसके अलावा आप यहां से सीताकुंड गांव की सैर का प्लान बना सकते हैं, जो सीता को समर्पित एक प्राचीन कुंड के लिए जाना जाता है।


केसरिया, बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित है, जहां आप परिवहन के तीनों साधनों की मदद से पहुंच सकते हैं। यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा 120 कि.मी की दूरी पर स्थित पटना एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप पटना रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं, जहां से आपको देश के अन्य स्थानों के लिए रेल सेवा मिल जाएगी। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्ग के जरिए भी पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों के द्वारा केसरिया राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

Nikhil pandey Darmaha 




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  दो बातों की गिनती करना छोड़ दे, खुद का दुःख और दूसरों का सुख, जिंदगी आसान हो जाएगी. मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए, पर वक़्त बीत रहा है, कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए. ताश का जोकर और अपनों की ठोकर, अक्सर बाजी घुमा देते है.. जैसे जैसे उम्र गुज़रती हैं, एहसास होने लगता हैं, माँ बाप हर चीज़ के बारे में सही कहते थे.. HOME MENU

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